👉19 जनवरी: वो तारीख जिसे कश्मीरी हिन्दू किसी भयानक सपने की तरह याद करते हैं, इन्हीं के पड़ोसी जिहादी तत्वों ने इन्हें लूटा ,बर्बाद कर दिया जिन्हें ये अपना भाई मानते थे
👉19 जनवरी, ये वो तारीख है जिसे कश्मीरी हिन्दू किसी भयानक सपने की तरह याद करते हैं. कश्मीर से हिन्दू पंडितों के पलायन को 30 साल बीत गए लेकिन आज भी ये तारीख उनके दिलों में खौफ पैदा कर देती है.
👉आज भी कश्मीर छोड़ चुके कश्मीरी हिंदुओं के ज़ेहन में उस त्रासदी की तस्वीरें जिंदा हैं. जनवरी के महीने में सैकड़ों निर्दोष कश्मीरी हिंदुओं को प्रताड़ित करके मौत के घाट उतार दिया गया और कई महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं भी सामने आईं, अमानवीय यातनाएं दी गयी, महिलाओं के स्तन तक काट उन्हें तड़पा तड़पा का मार डाला गया, छोटे बच्चों को उछाल उछालकर तलवारों की नोक पर फेंका गया, बुजुर्गों को भी नहीं बख्शा राक्षशों ने।
👉19 जनवरी 1990 को कश्मीरी हिंदुओं पर अत्याचार की इंतहां हो गई थी. इसी तारीख़ को कश्मीरी हिंदुओं के घर में फरमान चिपका दिया गया कि कश्मीर छोड़ दो वरना मारे जाओगे.
👉फरमान था कि हिन्दू अपने घर बार ओर औरतें छोड़कर भाग जाएं 19 जनवरी 1990 को सबसे ज्यादा लोगों को कश्मीर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था. करीब 4 लाख लोग विस्थापित हुए थे. तब से अब तक कश्मीरी हिन्दू देश के अलग-अलग शहरों में रह रहे हैं. इस उम्मीद पर कि वो दिन आएगा जब वो अपने घर अपने कश्मीर लौट पाएंगे
ये सवाल भी हैं:
✓ कश्मीरी हिंदुओं की घर वापसी का सपना कब पूरा होगा?
✓30 साल पहले हुए अत्याचार पर अब तक ख़ामोशी क्यों?
✓कश्मीरी हिंदुओं पर आज में बातचीत से परहेज़ क्यों?
✓अपने ही देश में शरणार्थियों की तरह रहने वाले कश्मीरी हिंदुओं का गुनाह क्या है?
✓हर सरकार वादे तो करती है, लेकिन कश्मीरी हिंदुओं के हालात क्यों नहीं बदलते??
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