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07 सितंबर 2016

अलगाववादी क्या है ? आइये जानते है

अलगाववादी एक ऐसा व्यक्ति जो एक समूह, समाज, संस्कृति या धर्म को तोड़ने  का समर्थन करता है, वो अलगाववादी कहलाता है.


अलगाववाद शब्द की उत्पत्ति 16 वीं शताब्दी में Protestants शब्द से जो चर्च ऑफ इंग्लैंड से अलग करने के लिए हुई थी लेकिन आज अलगाववाद हमारे देश में कश्मीर की सबसे बड़ी समस्या बन गई है.

भारत के गृहमंत्रालय द्वारा कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के फोन और मोबाईल की बातचीत ट्रेस की गई है जिससे पता लगा है कि वे खुद अपने कश्मीरी लोगों की मौत चाहते हैं ताकि ये मामला गंभीर बना रहे और वो देश को तोड़ने की साजिश में सफल हो सके.

इस फोन टैपिंग के मुताबिक - एक शख्स गुलाम अहमद डार दूसरे शख्स शब्बीर अहमद वानी से कह रहा है कि 20,000 लोगों की भीड़ मागाम से निकली है, और बडगाम की तरफ बढ़ी है. इस बातचीत के दौरान वानी ने कहा, तुम लोग घर पर बैठ कर पैसे ले रहे हो और कुछ नहीं कर रहे हो.

डार ने इसके जवाब में कहा, कि कभी कभी भीड़ को संभाल पाना मुश्किल हो जाता है. इसके बाद भीड़ को संभालना मुश्किल होता है. ओर बाद में डार ने कहा, आज कम से कम 15 लोग शहीद होने चाहिएं. और इसके बाद बातचीत खत्म हो गई।

कश्मीर हिंसा और अलगाववादी द्वारा देश तोड़ने की साजिश को देखते हुए मोदी सरकार अब वहां के अलगाववादी नेताओं के खिलाफ सख्ती का मन बना रही है। बताया जा रहा है कि अब उनके पासपोर्ट जब्त हो सकते हैं। साथ ही उस सभी की जेड सिक्योरिटी भी वापस ली जा सकती है।

आखिर इतने वर्षो तक पिछली कांग्रेस की सरकार ने करोड़ो रुपये इन अलगाववादी नेताओ पर क्यों बरसाये ये जांच का विषय है और देश के साथ गद्दारी भी है. आज इस देश की जनता समझ चुकी है की कांग्रेस ने सिर्फ वोट बैंक के लिए देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया है, जिसकी सजा इस देश की आने वाली नस्ले भुगतेगी।

हमारे देश के सरकारी पैसो से अलगाववादी नेता  फाइव स्टार होटलों में ठहरते हैं और सरकारी गाड़ियों में घूमते हैं। लगभग एक हजार सरकारी सुरक्षाकर्मी सालभर उनकी सुरक्षा में तैनात रहते हैं। यहां तक कि सरकार सालाना उनके खाने-पीने के करोड़ों रुपये का बिल भी अदा करती है, और ये लोग देश विरोधी बयान देते है और देश को तोड़ने की मंशा लिए कार्य करते है , लेकिन वर्त्तमान सरकार और पिछली सरकार में यही तो फर्क है की  देश को तोड़ने वाले लोगो के साथ नहीं अपितु जोड़ने वालो के साथ है, और होना भी चाहिए , क्योकि यहाँ पर सवाल देश और राष्ट्र धर्म का है.

नोट - अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिखे।

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