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08 नवंबर 2017

आज ८ नवम्बर यानी नोटबंदी की प्रथम सालगिरह है। ८ नवम्बर २०१६ को कौन भूल सकता है


आज ८ नवम्बर २०१७ यानी नोटबंदी की प्रथम सालगिरह है।  
 
८ नवम्बर २०१६ को कौन भूल सकता है, ये सदियों तक एक ऐतिहासिक दिन के रूप में जाना जायेगा। भारत की आजादी के ७० वर्षो बाद सबसे बड़ा कदम उभरकर सामने आया जिसने देश में छिपे हुवे काले धन के कुबेरो की नींदे हराम कर दी थी. इस कदम ने देश की जनता को एक जुट भी किया जो लोग कल तक अपने तिजोरी में पड़े हुवे करोड़ो रुपये के दम पर शासन और प्रशासन को ठेंगा दिखाया करते थे उन लोगो को सबसे ज्यादा परेशानी हुवी। जहा एक और काले धन के कुबेरो की तिजोरिया खाली हो रही थी वही दूसरी और आम जनता इस कदम की तारीफ़ भी कर रही थी क्योकि नोटबंदी से सबसे ज्यादा तकलीफ तो अमीरो को हुई।  ०८ नवम्बर २०१६ का दिन इतिहास के पन्नो में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।  ०८ नवम्बर २०१६ को रात ०८ बजे देश के प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश की जनता को सीधे लाइव सन्देश देते हुवे बताया की आज रात के बाद 500 और 1000 के नोट बंद।  श्री मोदी जी के इस सन्देश के बाद देश में जैसे अफरा तफरी मच गई।  इस फैसले के बाद कई प्रकार की अफवाओं का बाजार भी गर्म रहा।  देश की विरोधी राजनीतिक पार्टियों ने सरकार के इस ऐतिहासिक कदम का खुलकर विरोध किया जिनमे कांग्रेस और टी ऍम सी प्रमुख रूप से सबसे बड़ी विरोधी पार्टी बनाकर सामने आई।  क्योकि शायद सबसे ज्यादा नुकसान भी इन्ही का हुवा होगा देश की सत्ता में ६० वर्षो तक राज करके और अरबो रुपये के घोटालो के जरिया सबसे ज्यादा काला धन इन्ही लोगो के पास था। 

तो दोस्तों आइये जानते है नोटबंदी से क्या क्या फायदे हुवे और क्या नुकसान - 
नोटबंदी के फायदे -

१- आतंकवाद पर लगाम - नोटबंदी का सबसे बड़ा फायदा ये हुवा है की इस फैसले से आतंकवाद और उसके आका पूरी तरह कंगाल हो गए क्योकि आतंकवादियों को जो पैसा हवाला के जरिया पहुंचाया जाता था वो 500 और 1000 रुपये के नोटों में होता था।  ५०० और १००० रुपये बंद होने से इन लोगो के पास पड़ा हुवा पैसा कचरे का जैसा हो गया यांनी इनका करोडो रुपये का हवाला का पैसा रुक गया और इस कदम से आतंक का काम करने वालो को सबसे बड़ा झटका लगा।  और उनको पैसा मिलाना बंद हो गया। 

२- पत्थरबाजी बंद हुई - नोटबंदी का सबसे बड़ा फायदा ये हुवा है की इस फैसले से हवाला कारोबार पूरी तरह बंद हो गया जिस कारन कश्मीर में पत्थरबाजों को पैसा मिलाना बंद हो गया और इस फैसले से पत्थर बाजी पर रोक लगी।  

३- बेंको में पैसा बड़ा - नोटबंदी के बाद पुरे देश की जनता के पास पड़ा हुवा पैसा बैंको में पहुंचा।  जिस कारन बैंको में जो केश की कमी थी वो समाप्त हो गई।  और बैंको के पास पैसो की कमी नहीं रही जिस कारन लोन देने की क्षमता में भी वृद्धि हुई।  

४- डिजिटल लेन देंन में वृद्धि - नोटबंदी से डिजिटल लेन देन में बेहताशा वृद्धि हुई जिस कारन देश की लगभग १७ प्रतिशत जनता आधुनिक तरीके को अपनाकर डिजिटल लेन देन करने को प्रोत्साहित हुई और नगद व्यवाहर पर कमी आई।  
 

07 सितंबर 2016

अलगाववादी क्या है ? आइये जानते है

अलगाववादी एक ऐसा व्यक्ति जो एक समूह, समाज, संस्कृति या धर्म को तोड़ने  का समर्थन करता है, वो अलगाववादी कहलाता है.


अलगाववाद शब्द की उत्पत्ति 16 वीं शताब्दी में Protestants शब्द से जो चर्च ऑफ इंग्लैंड से अलग करने के लिए हुई थी लेकिन आज अलगाववाद हमारे देश में कश्मीर की सबसे बड़ी समस्या बन गई है.

भारत के गृहमंत्रालय द्वारा कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के फोन और मोबाईल की बातचीत ट्रेस की गई है जिससे पता लगा है कि वे खुद अपने कश्मीरी लोगों की मौत चाहते हैं ताकि ये मामला गंभीर बना रहे और वो देश को तोड़ने की साजिश में सफल हो सके.

इस फोन टैपिंग के मुताबिक - एक शख्स गुलाम अहमद डार दूसरे शख्स शब्बीर अहमद वानी से कह रहा है कि 20,000 लोगों की भीड़ मागाम से निकली है, और बडगाम की तरफ बढ़ी है. इस बातचीत के दौरान वानी ने कहा, तुम लोग घर पर बैठ कर पैसे ले रहे हो और कुछ नहीं कर रहे हो.

डार ने इसके जवाब में कहा, कि कभी कभी भीड़ को संभाल पाना मुश्किल हो जाता है. इसके बाद भीड़ को संभालना मुश्किल होता है. ओर बाद में डार ने कहा, आज कम से कम 15 लोग शहीद होने चाहिएं. और इसके बाद बातचीत खत्म हो गई।

कश्मीर हिंसा और अलगाववादी द्वारा देश तोड़ने की साजिश को देखते हुए मोदी सरकार अब वहां के अलगाववादी नेताओं के खिलाफ सख्ती का मन बना रही है। बताया जा रहा है कि अब उनके पासपोर्ट जब्त हो सकते हैं। साथ ही उस सभी की जेड सिक्योरिटी भी वापस ली जा सकती है।

आखिर इतने वर्षो तक पिछली कांग्रेस की सरकार ने करोड़ो रुपये इन अलगाववादी नेताओ पर क्यों बरसाये ये जांच का विषय है और देश के साथ गद्दारी भी है. आज इस देश की जनता समझ चुकी है की कांग्रेस ने सिर्फ वोट बैंक के लिए देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया है, जिसकी सजा इस देश की आने वाली नस्ले भुगतेगी।

हमारे देश के सरकारी पैसो से अलगाववादी नेता  फाइव स्टार होटलों में ठहरते हैं और सरकारी गाड़ियों में घूमते हैं। लगभग एक हजार सरकारी सुरक्षाकर्मी सालभर उनकी सुरक्षा में तैनात रहते हैं। यहां तक कि सरकार सालाना उनके खाने-पीने के करोड़ों रुपये का बिल भी अदा करती है, और ये लोग देश विरोधी बयान देते है और देश को तोड़ने की मंशा लिए कार्य करते है , लेकिन वर्त्तमान सरकार और पिछली सरकार में यही तो फर्क है की  देश को तोड़ने वाले लोगो के साथ नहीं अपितु जोड़ने वालो के साथ है, और होना भी चाहिए , क्योकि यहाँ पर सवाल देश और राष्ट्र धर्म का है.

नोट - अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिखे।

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