जो कह रहे है कि कहाँ गया 56".....??? कहाँ गया 56" ....... ??
सब यही चिल्ला रहे हो ना .......??
तो इतना याद रखो कि, इसी 56" ने तुमको 'JNU' का सचः दिखाया है !!!
इसी 56 ने तुम्हे कश्मीर का असल रूप दिखाया है !! और तुम्हारे खून में उबाल पैदा किया है........
वरना बर्फ की तरह जम चूका था, तुम्हारा/हमारा खून, रगों में....... !
और सुनो..:--....
इसी 56" ने तुम्हे "अवार्ड वापसी गैंग" की "असलियत" दिखायी है ...
जो आप के और हमारे बिच "छिपे हुये" हमारी ही जड़ों को "खोखला" कर रहे थे....... !
और सुनो और.........
इसी 56" ने तुमको 'याकूब' के जनाज़े की भीड़ दिखा के........ तुम्हारे भविष्य के प्रति तुमको आगाह और सोचने पर " मज़बूर"किया है.........
वरना इसके," बाप" का क्या जाता था ?,,, अगर चाहता तो "चुपचाप" 'नागपुर सेंट्रल जेल' में "दफना" देता 'याकूब' को .......
तब क्या तुम अंदाज़ा लगा सकते थे उसकी" जनाज़े" की भीड़ का .....?
तुम भागे दौड़े चले जाते हो की "पाकिस्तान" पर हमला करो!!! तुम्हे इसका इल्म भी है, कि किसी "देश" पर हमला करना क्या होता है.....?
क्या तुम्हे लगता है कि "पाकिस्तान" ने यह हमला करने से पहले सोचा नहीं होगा ...???
उसने पूरा सोचा उसने पूरा उकसाया मगर बात यहीं खत्म नहीं होती !!! उकसाया किसके कहने पर ....???
बाप चीन के कहने पर, जिसकी मोबाइल से लेकर दो-दो रूपये की "चीज़" तुम अपने घर में ले के आते हो !!! उसे "मजबूत" बनाते हो, फिर बात करते हो युद्ध की ....????
एक "लाठी" तुम्हारे घर में मिलने से रही, बात" बम -गोलों" की करते हो तुम ...????
जो युद्ध - "पाकिस्तान" करना चाहता था, जो युद्ध -"चीन" चाहता है, वही युद्ध- "तुम्हे" चाहिए...?????
चाणक्य का नाम भी सुना है , तुमने ...????.
उसकी युद्ध नीति क्या थी... ???
दिमाग़ बेच के खा गए क्या...???
और सुनो और ---........
कुत्तों, कुत्तों में फर्क होता है ........ एक कुत्ता था,"वो" :- जिसने बर्फ के निचे" सूंघ" के,"तुम्हें" , तुम्हारे "हनुमन्त-थप्पा" को ढूंढा था .... एक कुत्तों की नस्ल वो" ....जो, "लाशों को सूंघ" के, 'दादरी' और 'हैदराबाद' तक पहुँच जाती है........ !
"कुत्तों"..... और" देशद्रोही कुत्तों"....... की नस्ल का "फर्क" दिखलाया तुमको , इसी 56" की "छाती वाले" ने......... !
वरना क्या पहले," 70 सालों" में, 'कांग्रेस' की "सरकारों" के समय........ ये सब देखा / सूना था तुमने कभी ......???
या कभी आया," तुम्हारे बर्फ की तरह जम चुके खून में उबाल".............???
यदि आया हो तो, बताओ ....??
यदि तुमसे, "इंतजार" नहीं हो रहा , "युद्ध" का.......तो, क्यों ना "खुद बम बाँध" के चले जाते 'पाकिस्तान"????
उनके भी तो इधर आये थे.... ???
अब' मज़बूरी का विधवा विलाप नहीं करना .? क्यू की "देशभक्ति" में, तो सब कुछ संभव है ...
बात करते हो युद्ध की ...???
पहले,"घर बेठे गद्दारो" से तो निपटो.....
जो," वन्देमातरम" कहने में," शर्म महसूस" करते है.....
और" मोदी "और" सेना" को, कहते हो " पाकिस्तान" को ठोक दो..... घर में बेठे कितने "गद्दारो" को, तुमने ठोका...???
बात करते हो,' युद्ध" की....????