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21 अक्टूबर 2016

नेहरू, आधुनिक भारत के निर्माता कम समस्याग्रस्त भारत के निर्माता ज्यादा


                                इस नक़्शे को ध्यान से देखिये, इसे पूर्व रॉ अधिकारी श्री RPN सिंह जी ने तैयार किया है। नक्शे में दिखाया 7 नम्बर POK है जो कश्मीर का मात्र 1.7% है। नेहरु के जमाने से भारत सरकार का एजेंडा बस यही भाग है जबकि नक्शे में दिखाया गया 5 नम्बर भी कश्मीर का हिस्सा है और इसे भी कश्मीर के राजा हरिसिंह भारत गणराज्य में विलय कर गए थे जिस पर पाकिस्तान ने तब कब्जा कर लिया था जब नेहरु ने अपनी फौजें वहां नहीं भेजी थीं। नेहरु ने गिलगिट-बाल्टिस्तान के लोगों के साथ धोखा किया था।

उससे भी बड़ा दोगलापन नक़्शे में दिखाए 6 नम्बर वाले भाग से हो रहा है। ये कश्मीर का 1.6 प्रतिशत भाग है जिसे कश्मीर-घाटी कहते हैं। सिर्फ इस भाग को राज्य की दो तिहाई से अधिक विधानसभा सीटें दी गईं हैं मतलब इसके सामने हिन्दू बहुल जम्मू और बौद्ध बहुल लद्दाख का कोई वजूद नहीं है। सिर्फ यही भाग जम्मू-कश्मीर में सरकार चुनता है, मतलब इस छोटी सी घाटी की सरकार बनाने में सबसे बड़ी भूमिका होती है। इस क्षेत्र को मुफ्तियों और अब्दुल्लाओं ने कब्जा में रखा है। यही भाग पाकिस्तानी आतंकवाद को पनाह देता है और आतंकवाद से लड़ने के नाम पर हर साल सिर्फ यही क्षेत्र केंद्र से लाखों करोड़ का पैकेज़ लेकर गुलछर्रे उड़ा रहा है। मुफ्तियों और अब्दुल्लाओं की चमड़ी मोटी होती जा रही है और ये खुद आतंकवाद फैलवाकर सत्ता के साथ हर साल लाखों करोड़ों के विशेष पैकेज का खेल पिछले 70 साल से खेल रहे हैं। ये कहते हैं के ये बोर्डर का इलाका है जो सरासर झूठ है।

सिर्फ इस 1.6% भाग ने पूरे कश्मीर को अस्थिर कर रखा है। सरकार को इस क्षेत्र की विधानसभा-लोकसभा सीटें क्षेत्रफल के हिसाब से बांटनी होंगी और POK तो अपना है ही, अब गिलगिट बाल्टिस्तान को भारत में मिलाने का उपक्रम शुरू करना होगा।

नेहरु और पूर्ववर्ती कांग्रेसी सरकारों के कुकर्म ज्यादा दिनों तक देश को अँधेरे में नहीं रख सकते

21 सितंबर 2016

एक ऐसा रास्ता भी है जिससे पाकिस्तान खून के आंसू रो सकता है क्योकि सिंधु बिना अधूरा है हिन्दु

हिंदुस्तान के पास एक ऐसा रास्ता भी है, जिससे वह पाकिस्तान को घुटने के बल पर ला सकता है।


वो है इंडस वॉटर ट्रीटी अर्थात् सिंधु जल संधि। 
तब के इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन ऐंड डेवलपमेंट (अब विश्वबैंक) की मौजूदगी में 19 सितंबर 1960 को कराची में इस संधि पर तब के भारतीय पीएम जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के जनरल अयूब खान ने हस्ताक्षर किये थे। 

ऐसा भी कहा जाता है कि पूरी दुनिया में यह अजूबा संधि है, जिसमें भारत अपनी छह मुख्य नदियों का 80 फीसदी जल अपने सबसे बड़े दुश्मन पाकिस्तान के लिए सुरक्षित करता है।

सिंधु जल संधि के मुताबिक भारत की छह नदियों का लगभग 167.2 अरब घन मीटर हर साल पाकिस्तान के लिए देता है। सिंधु, झेलम और चिनाब का तो पूरा पानी ही पाकिस्तान को दे दिया जाता है़ और यदि भारत ने इस संधि को रद्द कर दिया तो पाकिस्तान की इकॉनामी ही ध्वस्त हो जाएगी। पंजाब का पूरा इलाका, जो उम्दा खेती के लिए जाना जाता है, वीरान हो जाएगा।

सिंधु, झेलम, चिनाब, सतलुज, व्यास और रावी का पानी बंद हो जाने से पाक में खेती खत्म हो जाएगी। वहां की खेती बारिश पर कम, इन नदियों के पानी पर ज्यादा निर्भर करती है। 

इस संधि को खत्म करने के बाद पाकिस्तान खून के आंसू रो सकता है. 
रावी, ब्यास, सतलुज, झेलम, सिंधु और चिनाब का आरंभिक बहाव भारत में है। ऐसे में इस पर नियंत्रण भी भारत का होना चाहिए।आने वाले समय में भारत यह कदम उठा सकता है और भारत सरकार को ये कदम ऊठाना भी चाहिये । 
सिंधु बिना अधूरा है हिन्दु  ।।।

नोट - आपको यह पोस्ट कैसी लगी ? अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। ..जय हिन्द

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