26 फ़रवरी 2025

सोमनाथ मंदिर, ज्योर्तिलिंग और उसके रहस्य 🚩 विज्ञान भी हैरान

Somnath Mandir ke Rahasya भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से सबसे प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ को माना गया है। सोमनाथ मन्दिर वर्तमान में गुजरात राज्य के काठियावाड़ क्षैत्र में स्थित हैं। इस मंदिर पर कई बार हमले हुए और इसकी संपत्ति को लूटा गया है। प्रथम बार महमूद गजनवी ने सन् 1025 में मन्दिर पर आक्रमण किया था और मन्दिर की सम्पत्ति को लूटकर इस मन्दिर को नष्ट कर दिया था।
जिसके बाद इस सोमनाथ मंदिर को मुस्लिम आक्रांताओं ने कुल 17 बार आक्रमण किए और इसकी संपत्ति को लूट कर मंदिर तुड़वाया तथा हर बार हिन्दू राजाओं ने इसका पुनः निर्माण कराया।
आइए जानते हैं सोमनाथ मंदिर (Somnath Mandir) के रहस्य के बारे में 
सोमनाथ मन्दिर का वास्तु और शिल्प अद्भुत है। मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के प्रथम वास्तुविद भगवान विश्वकर्मा स्वयं ने इसकी संरचना तैयार की। इस मन्दिर में हवा में तैरता प्राचीन शिवलिंग था जो चुम्बकीय गुण के कारण हवा में तैरता था। जो आज भी विज्ञान की पहुंच से दूर है। मन्दिर की दीवारों में धातुओं की इस प्रकार परत लगाई गई की शिवलिंग चुम्बकीय शक्ति के कारण हवा में तैरता था। एक और रहस्य है वो बाण स्तम्भ जिसको लेकर विज्ञान आज भी अचंभित है।
सोमनाथ मन्दिर के दक्षिण में समुद्र किनारे एक स्तंभ है जिसे बाण स्तम्भ कहा जाता है। यह स्तंभ अति प्राचीन है । छठी शताब्दी में बाण स्तम्भ का उल्लेख मिलता हैं। इस बाण स्तम्भ के ऊपर पृथ्वी की मूर्ति और एक तीर रख कर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मन्दिर और दक्षिण ध्रुव के बीच पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है। “आसमुद्रान्त दक्षिण ध्रुव पर्यत अबाधित ज्योतिर्मार्ग ”
इस स्तम्भ को बाण स्तम्भ कहते हैं। 
आखिर कैसे हमारे ऋषियों मुनियों ने हजारों वर्ष पहले ध्रुवों और पृथ्वी की संरचना के बारे में जान लिया था। कितना समृद्ध ज्ञान रहा होगा उस समय । जो आज के विज्ञान से कितना आगे था। यहीं सनातन संस्कृति की विशालता है। आज सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या उस काल में भी लोगों को यह जानकारी थी कि दक्षिण ध्रुव कहा है और धरती गोल हैं। कैसे उन लोगों ने इस बात का पता लगाया होगा कि बाण स्तम्भ के सीध में कोई बाधा नहीं है। आज के युग में तो यह विमान और सेटेलाइट के माध्यम से ही पता लगाया जा सकता हैं।
अब दक्षिणी ध्रुव से भारत के पश्चिमी तट पर बिना किसी बांधा के जिस स्थान पर सीधी रेखा मिलती हैं, वहा ज्योतिर्लिंग स्थापित है। जिसे भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में पहला माना जाता हैं। इस बाण स्तम्भ पर लिखें श्लोक की अन्तिम पंक्ति —

अबाधित ज्योतिर्मार्ग” भी किसी रहस्य से कम नहीं है। क्योंकि अबाधित और मार्ग तो समझ में आता है लेकिन ज्योतिर्मार्ग क्या है यह आज भी विज्ञान के लिए एक बड़ा रहस्य बना हुआ है। 

तो दोस्तों श्री सोमनाथ मंदिर के बारे में जानकारी कैसी लगी कॉमेंट जरूर करें और वीडियो को अपने दस्तों रिश्तेदारों को शेयर भी करे ताकि हमारे सनातन धर्म की विशालता सबको पता चले। 
धन्यवाद। 🙏🏼🙏🏼

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