आए दिन कहीं न कहीं झगड़े होते रहते हैं. इस दौरान कुछ लोग बिन बुलाए मेहमान की तरह झगड़े की जगह पर पहुंच जाते हैं और सलाह देने लेते हैं. इन्हीं लोगों के लिए चाणक्य नीति में बताया गया है कि जहां पर लोग झगड़ा कर रहे हैं या किसी जगह पर झगड़ा हो रहा है, वहां चुप रहने में ही भलाई होता है. जब तक कोई आकर कुछ कहे न तब तक किसी झगड़े में बोलना नहीं चाहिए.
अक्सर कुछ लोगों को अपनी तारीफ करना बहुत पसंद होता है. ऐसे में चाणक्य नीति में बताया गया है कि जो इंसान खुद की तारीफ कर रहा हो, वहां पर बोलना सही नहीं होता है. वहां पर चुप रहना ही सही होता है. इस जगह अगर आप कुछ बोलते हैं, तो आप अपमानित हो सकते हैं
एक कहावत है कि अधजल गगरी छलकत जाय. यानी कि मटका अगर खाली रहता है, तो उसमें से पानी छलकता रहता है और जब वह पूरा भरा होता है, तो नहीं छलकता है. इसी तरह मनुष्य का भी स्वभाव होता है. आधी अधूरी जानकारी वाला व्यक्ति बहुत उतावला होता है और जिसे ज्ञान होता है वह शांत स्वभाव का होता है. ऐसे ही लोगों के लिए चाणक्य नीति में लिखा गया है कि मनुष्य को आधी जानकारी में चुप रहना ही सही होता है
चाणक्य नीति के अनुसार, जब मनुष्य आपके सामने अपना दुख-दर्द या परेशानी को साझा करे, तो उस दौरान उसकी बातों को ध्यान से सुनना चाहिए. इस समय मनुष्य को चुप रहना ही सही होता है.
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