क्या आप ईश्वर को मानते हैं ?
हाँ ! अगर आप आस्तिक हैं . आपकी ईश्वर में अटूट आस्था हैं . मगर कभी आपने सोचा है ?
कि जिन देवी देवताओं के प्रति अटूट आस्था है इनकी तस्वीरों/ फोटो/चित्र सड़क पर, नाली में , कचरे के डिब्बों में ,बर्तन साफ़ करने के स्थानों पर , रोटी के डिब्बों में कचोरी समोसे की प्लेटों में आदि में उपयोग करते पाए जाते हैं
क्या आपका मन नही कचोटता ?
जो लोग धार्मिक आयोजन करते हैं , बड़े बड़े अनुष्ठान करवाते हैं . आरती पूजा में photo खिंचवाते हैं , समाचार पत्रों में देते हैं सोचते हैं की हमारा वजूद बड़ेगा परन्तु वे ही तस्वीरे चाय नास्ता पान आदि के पेकेट बाँधने में उपयोग होती है .
क्या यही है हमारी धार्मिक आस्था ?
क्या इससे ईश्वर प्रसन्न होंगे ?
कुछ लोग अपने व्यवसाय की थैलियों / शादी के कार्ड आदि में / टाट की बोरियों / कैरी बेग/ अगरबत्ती के पेकेट/ कपडे/ फ्लेक्स आदि पर photo प्रिंट करवाते हैं पर उनका उपयोग कई बार गंदे सामान लाने ले जाने में होता है . बोरियों का उपयोग पैर पोछ के रूप में होता है इससे हमारे देवी देवता प्रसन्न होंगे ?
फिर हम पंडितों के पास जाते हैं हमारे घर में अशांति है, कलह है, बीमारियाँ है , बरकत नही है, धंधा नही चल रहा है आदि .
इसमें दोष किसका है ....बदलाव करें धर्म बचाएं/संस्कृति बचाएं ......निवेदक
हाँ ! अगर आप आस्तिक हैं . आपकी ईश्वर में अटूट आस्था हैं . मगर कभी आपने सोचा है ?
कि जिन देवी देवताओं के प्रति अटूट आस्था है इनकी तस्वीरों/ फोटो/चित्र सड़क पर, नाली में , कचरे के डिब्बों में ,बर्तन साफ़ करने के स्थानों पर , रोटी के डिब्बों में कचोरी समोसे की प्लेटों में आदि में उपयोग करते पाए जाते हैं
क्या आपका मन नही कचोटता ?
जो लोग धार्मिक आयोजन करते हैं , बड़े बड़े अनुष्ठान करवाते हैं . आरती पूजा में photo खिंचवाते हैं , समाचार पत्रों में देते हैं सोचते हैं की हमारा वजूद बड़ेगा परन्तु वे ही तस्वीरे चाय नास्ता पान आदि के पेकेट बाँधने में उपयोग होती है .
क्या यही है हमारी धार्मिक आस्था ?
क्या इससे ईश्वर प्रसन्न होंगे ?
कुछ लोग अपने व्यवसाय की थैलियों / शादी के कार्ड आदि में / टाट की बोरियों / कैरी बेग/ अगरबत्ती के पेकेट/ कपडे/ फ्लेक्स आदि पर photo प्रिंट करवाते हैं पर उनका उपयोग कई बार गंदे सामान लाने ले जाने में होता है . बोरियों का उपयोग पैर पोछ के रूप में होता है इससे हमारे देवी देवता प्रसन्न होंगे ?
फिर हम पंडितों के पास जाते हैं हमारे घर में अशांति है, कलह है, बीमारियाँ है , बरकत नही है, धंधा नही चल रहा है आदि .
इसमें दोष किसका है ....बदलाव करें धर्म बचाएं/संस्कृति बचाएं ......निवेदक
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