हमारे भारत देश के
भोजपूरिया जिला बलिया में जन्म लेने
वाले अमर शेर मंगल पांडे (19 जुलाई 1827-
8 अप्रैल 1857 ) ने बैरकपुर छावनीमें
अंग्रेज लैफ्टिनेंट को गोली से उड़ाकर उस
बगावत की शुरुआत की थी, जिसे आज
दुनिया 1857 के गदर के नाम से
जानती है। अगर 1857 का गदर न हुआ
होता तो शायद 1947 काफी देर बाद
आता। अगर मंगल पांडे की गोली न
चली होती तो शायद पूरा उत्तर भारत
अंग्रेजों के खिलाफ उस आंदोलन में खड़ा न
होता, जिसे आज हम पहले
स्वतंत्रता संग्राम के नाम से जानते हैं।
बैरकपुर छावनी में जब बंगाल नेटिव
इन्फेंट्री में सिपाहियों को गाय
की चर्बी वाले कारतूस बांटे गए तोमंगल
पांडे भड़क उठे। उन्होंने सार्जेंट मेजर
ह्यूसन को उनके घोड़े समेत मार गिराया।
इसके बाद 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे
को फांसी दे दी गई। मंगल पांडे
की फांसी की खबर जैसे-जैसे ईस्ट
इंडिया कंपनी की सेनाओं में फैली,वैसेवैसे
विद्रोह फैलता गया। जिसमें
विद्रोहियों ने सैकड़ों अंग्रेजों कोमौत के
घाट उतार दिया,
हजारों विद्रोहियों को फांसी दे
दी गई। भारत के इस महान
सेनानी की फांसी के बाद देश में
महीनों तक आजादी की लड़ाई
चलती रहीई मंगल पांडे के प्रयास
का नतीजा 90 साल बाद 1947 में भारत
की आजादी के रूप में निकला और अंग्रेज
अपना सब कुछ समेटकर चलेगए।
प्रथम क्रांतिपुरुष और महान
बलिदानी भारतीय शेर मंगल पांडे के
बलिदान दिवस पर उन्हे
कोटि कोटि नमन.....
भोजपूरिया जिला बलिया में जन्म लेने
वाले अमर शेर मंगल पांडे (19 जुलाई 1827-
8 अप्रैल 1857 ) ने बैरकपुर छावनीमें
अंग्रेज लैफ्टिनेंट को गोली से उड़ाकर उस
बगावत की शुरुआत की थी, जिसे आज
दुनिया 1857 के गदर के नाम से
जानती है। अगर 1857 का गदर न हुआ
होता तो शायद 1947 काफी देर बाद
आता। अगर मंगल पांडे की गोली न
चली होती तो शायद पूरा उत्तर भारत
अंग्रेजों के खिलाफ उस आंदोलन में खड़ा न
होता, जिसे आज हम पहले
स्वतंत्रता संग्राम के नाम से जानते हैं।
बैरकपुर छावनी में जब बंगाल नेटिव
इन्फेंट्री में सिपाहियों को गाय
की चर्बी वाले कारतूस बांटे गए तोमंगल
पांडे भड़क उठे। उन्होंने सार्जेंट मेजर
ह्यूसन को उनके घोड़े समेत मार गिराया।
इसके बाद 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे
को फांसी दे दी गई। मंगल पांडे
की फांसी की खबर जैसे-जैसे ईस्ट
इंडिया कंपनी की सेनाओं में फैली,वैसेवैसे
विद्रोह फैलता गया। जिसमें
विद्रोहियों ने सैकड़ों अंग्रेजों कोमौत के
घाट उतार दिया,
हजारों विद्रोहियों को फांसी दे
दी गई। भारत के इस महान
सेनानी की फांसी के बाद देश में
महीनों तक आजादी की लड़ाई
चलती रहीई मंगल पांडे के प्रयास
का नतीजा 90 साल बाद 1947 में भारत
की आजादी के रूप में निकला और अंग्रेज
अपना सब कुछ समेटकर चलेगए।
प्रथम क्रांतिपुरुष और महान
बलिदानी भारतीय शेर मंगल पांडे के
बलिदान दिवस पर उन्हे
कोटि कोटि नमन.....
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