दोस्तों पिछले कुछ दिनों से news और सोशल मीडिया में एक शब्द काफी चर्चा का विषय बना हुआ है और वो शब्द है Digital Arrest।
कुछ दिनों से देश के कई शहरों में डिजिटल अरेस्ट के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। जिसके माध्यम से साइबर ठग आसानी से लोगो को अपना शिकार बना रहे हैं ओर लोगों से ऑनलाइन पैसे लुट रहे हैं।
आइए जानते है क्या होता है डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) ? What is digital arrest ?
डिजिटल अरेस्ट में किसी व्यक्ति को ऑनलाइन माध्यम से डराया या धमकाया जाता है कि वह किसी सरकारी एजेंसी के माध्यम से अरेस्ट हो गया है, उसे पेनल्टी या जुर्माना देने मजबूर भी किया जाता है। डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो कि पहले से कानून की किताबों में नहीं है, लेकिन, आजकल ऑनलाइन माध्यम से अपराधियों के इस तरह के बढ़ते अपराध की वजह से इस शब्द का प्रयोग चलन में आया है। पिछले 3-4 महीनों में भारत के कई शहरों से लगभग 1000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा की ऑनलाइन धोखाधड़ी हुई है। इसके अलावा कई ऐसे भी मामले होते हैं जो पुलिस तक नहीं पहुंच पाते या जिसकी रिपोर्ट पुलिस को नहीं की जाती है। ओर कई ऐसे मामले भी होते हैं जिसमें ठगी करने की कोशिश करने वाले सफल नहीं हो पाते हैं। इस प्रकार डिजिटल अरेस्ट एक बहुत बड़ा क्राईम बनकर सामने आया है। जिसको लेकर शासन प्रशासन भी परेशान है।
डिजिटल अरेस्ट करने वाले गिरोह का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है, जिसकी वजह से डिजिटल अरेस्ट के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
डिजिटल अरेस्ट के मामलो में लोगों को कैसे फंसाया जाता है? आइए जानते हैं
इसमें ठगी करने के लिए आमतौर पर 4- 5 तरीके प्रयोग किए जाते हैं जैसे, किसी कूरियर का नाम लेकर कि उसमें आपके नाम से कोई गलत सामान आया है जैसे एमडी या ड्रग्स आदि , जिसकी वजह से आपको डराया जाता है और पैसों की मांग की जाती है।
या फिर आपके बैंक खाते से इस तरह के ट्रांजैक्शन हुए हैं जो फाइनेंशियल फ्रॉड रिलेटेड हैं जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला आदि।
इस प्रकार एनडीपीएस या मनी लॉन्ड्रिंग का भय दिखाकर उन लोगों को फंसाया जाता है, जो पढ़े-लिखे और कानून की जानकारी रखते हैं। ऐसे लोगों को डराकर उनसे ऑनलाइन पैसे मांगे जाते है। अगर उनके खातों में पैसे नहीं हैं तो उनको लोन भी दिलवाया जाता है। कई बार उनके पास लोन लेने वाले एप्स नहीं होते हैं तो उन एप्स को भी डाउनलोड कराया जाता है ओर इस तरह उनको दो से तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा जाता है और लाखों रुपए की धोखाधड़ी की जाती है।
इसे ही डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है।
तो दोस्तों इस वीडियो के माध्यम से हमने आपको बहुत ही आसान भाषा में डिजिटल अरेस्ट के बारे में समझाने का प्रयास किया है। अब आप समझ गए होंगे कि डिजिटल अरेस्ट क्या होता है।
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धन्यवाद, मिलते हैं अगले Post में, एक नए विषय के साथ
डिजिटल अरेस्ट(digital arrest) के मामले से कैसे बचा जा सकता है?
इसमें कई तरह के अपराध होते हैं। गलत तरीके से सिम कार्ड लिया जाता है, गलत तरीके से बैंक खाता खोला जाता है। जिन लोगों को ठगी का शिकार बनाया जाता है उनके पैन कार्ड, आधार कार्ड समेत कई अन्य डेटा को गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा किया जाता है। उनके खाते से पैसे ट्रांसफर कराये जाते हैं। कई बार क्रिप्टो या गेमिंग एप के माध्यम से हवाला के जरिए पैसे को बाहर भेजा जाता है। लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी सरकारी एजेंसी ऑनलाइन तरीके से पूछताछ नहीं करती है। सरकारी एजेंसी सिर्फ फिजिकल तरीके से पूछताछ करती है। अगर किसी के साथ इस तरीके की घटना होती है तो वह दो तरीके से इसे रिपोर्ट कर सकता है। साइबर फ्रॉड के हेल्पलाइन नंबर या फिर ईमेल के जरिए शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इसके अलावा, आप स्थानीय पुलिस को भी शिकायत दे सकते हैं। अगर आप पुलिस को एक घंटे के भीतर सूचना देते हैं तो ट्रांसफर किए गए पैसे को वापस पाने की संभावना रहती है।