06 दिसंबर 2025

देवव्रत महेश रेखे - यह कोई साधारण बालक नहीं है।

देवव्रत महेश रेखे ✌️🙏 (अहिल्यानगर, महाराष्ट्र) ने सिर्फ 19 वर्ष की आयु में दण्डक्रम वेद पारायण के अंतर्गत
🔱 25 लाख से भी अधिक पदों का
🔱 लगातार 50 दिनों तक
🔱 बिना किसी ग्रंथ का सहारा लिए, एक भी त्रुटि के बिना
उच्चारण कर सनातन वेद परंपरा का मस्तक गर्व से ऊँचा कर दिया है।
क्या दिव्य प्रतिभा है। क्या दिव्य तेज है इस युवक में।

यस्य वाणी वेदमयी, यस्य जीवनं तपोमयम्।
तं नमामि महाभागं, ब्राह्मणं धर्मरक्षणम्॥
आप यह जो चित्र देख रहें हैं यह कोई साधारण बालक नहीं है। #विश्व के सबसे मेधावी बुद्धिमान बालको में इसकी अब गणना हो रही है* नाम है #देवव्रत महेश रेखे* अहिल्यानगर ,महाराष्ट्र । ऐसा क्या अद्भुत कार्य किया है इस 19 वर्षीय तेजस्वी बालक ने? विद्वानों की नगरी काशी में यह बालक अपनी गुरुपरंपरा से प्राप्त एक ऐसा ऐतिहासिक अद्भुत विलक्षण पारायण प्रस्तुत कर रहा है जो सभी विषयों के विद्वानों को चकित कर रहा है ।
 25 लाख पदोको और करोडो शब्द बिना पुस्तक देखे बिना गलती किये अविरल गति से 50 दिनों तक सत्स्वर पाठ किए और आश्चर्य की बात यह है की 1000 वर्षोमे केवल दुसरी बार यह पारायण हो रहा है* एक ही गती वेग से वह सीधा एवं उल्टा बोल रहा है । जिसे *दण्डक्रम* वेद पारायण कहते हैं ।समूचे भारतवर्ष मे इस अद्भुत चमत्कारिक बालक की चर्चा हो रही है ।कोई कह रहा है भगवान बाबा विश्वनाथ की कृपा हो गयी है तो कोई कह रहा है माँ सरस्वती मानो नृत्य कर रही है इसकी जिह्वा पर !!!
आसान नहीं है ये...
ये महज इस जन्म मे साध्य नहीं हुंआ है..
इसके पीछे पूर्वजन्मोंकी सातत्यपूर्ण तपस्या, अभ्यास है ! 
प्राचीन ऊर्जा है ये जो प्रकट हुई ! 
धन्य है उनके पूर्वज, मातापिता जिनकी प्रार्थना और संस्कारोंसे इस मेधावी अद्भुत बालक का जन्म उनके घर हुआ ! 

धन्य है हम की इस चमत्कार के हम साक्षी है ! 

ढेर सारी शुभकांशायें...
 सादर प्रणिपात !
हर हर महादेव🚩🚩🚩 #PMO
#UPCM
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#संस्कृतम् 
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अभिनंदन। अभिनंदन
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#वेदोअ्खिलोधर्ममूलं 🙏🌷🚩🏆🥇🏅

05 दिसंबर 2025

संचार साथी ऐप क्या है जानिए । What is Sanchar Sathi App

क्या आपका मोबाइल नंबर किसी और के नाम पर चल रहा है? या कहीं आपके नाम पर फेक सिम कार्ड तो नहीं निकला? इसका आसान जवाब है—Sanchar Sathi App!”
✅“Sanchar Sathi ऐप, भारत सरकार के दूरसंचार विभाग द्वारा बनाया गया एक सुरक्षित और मुफ्त मोबाइल एप्लिकेशन है। इसका मकसद है—यूज़र्स को मोबाइल फ्रॉड से बचाना, उनके नाम पर चल रहे सभी नंबरों की जानकारी देना, और फर्जी सिम कार्ड का पता लगाना।”
✅“सबसे पहले, TAFCOP फीचर के जरिए आप देख सकते हैं कि आपके नाम पर कितने मोबाइल नंबर जारी किए गए हैं। अगर कोई अनजान नंबर आपके नाम पर निकला है, आप तुरंत रिपोर्ट कर सकते हैं।”

✅“दूसरा फीचर फोन सिक्योरिटी। यह आपको बताता है कि आपका फोन clone हुआ है या किसी फ्रॉड में इस्तेमाल हो रहा है।”
✅“अगर आपका मोबाइल खो जाए या चोरी हो जाए, तो CEIR फीचर से आप फोन को तुरंत ब्लॉक और बाद में अनब्लॉक कर सकते हैं। इससे फोन का दुरुपयोग नहीं हो पाता।”

✅“आप किसी भी फ्रॉड कॉल, स्पैम मैसेज या cheating वाले नंबर को सीधे ऐप में रिपोर्ट कर सकते हैं।”
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✅“आज के समय में डिजिटल फ्रॉड तेजी से बढ़ रहे हैं। Sanchar Sathi ऐप आपकी पहचान, आपका मोबाइल डेटा और आपके नाम से चल रहे हर सिम को सुरक्षित रखने में मदद करता है।”

“तो अगर आपने अभी तक Sanchar Sathi ऐप डाउनलोड नहीं किया है, तो तुरंत करें और अपने मोबाइल नंबर को सुरक्षित रखें।
अगर वीडियो पसंद आए तो लाइक करें, शेयर करें और चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें!”

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18 अक्टूबर 2025

क्या ताजमहल सचमुच शिव मंदिर तेजोमहालय है जानिए ताजमहल का रहस्य

नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका
आज हम बात करेंगे भारत की एक ऐसी विवादित इमारत के बारे में, जो दुनिया के सात अजूबों में से एक है – जिसका नाम है ताजमहल। 

क्या आप जानते हैं कि इस खूबसूरत इमारत के पीछे कौनसा विवाद छुपा हुआ है ? जिसकी आज हर कही चर्चा हो रही है। एक ऐसा विवाद जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। 
क्या ताजमहल सचमुच शाहजहाँ का बनाया हुआ मकबरा है, या प्राचीन शिव मंदिर , जिसे प्राचीन काल में "तेजोमहालय" के नाम से जाना जाता था? तो आज हम इसी रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश करेंगे और समझेंगे इस विवाद के बारे में विस्तार से ।”

इतिहासकारों के अनुसार ताजमहल का निर्माण 1632 ईस्वी में शाहजहाँ ने अपनी पत्नी, मुमताज़ महल की याद में कराया था। यह आगरा में यमुना नदी के किनारे स्थित है और सफेद संगमरमर के पत्थरों से बना हुआ है। सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनी यह इमारत, अपनी बारीक नक्काशी और खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यूनेस्को ने भी इसे विश्व धरोहर में शामिल किया है।
[तेजोमहालय विवाद]
आइए अब बात करते हैं उस विवाद के बारे में, जिसमें कहा जाता है कि ताजमहल असल में एक प्राचीन शिव मंदिर था – जिसे तेजोमहालय के नाम से जाना जाता था।
कुछ इतिहासकारों और शोधकर्ताओं का दावा है कि यह इमारत पहले से ही शिव मंदिर तेजोमहालय था। उनका कहना है कि इसमें मंदिर जैसी संरचनाये, गुप्त कक्ष और हिंदू प्रतीकों के निशान आज भी मौजूद है और देखे भी जा सकते हैं।
इस विषय पर कई याचिकाएँ अदालत में भी डाली गईं, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय सामने नहीं आया है जो इसे पूरी तरह मंदिर या पूरी तरह मकबरा साबित कर सके।
तेजोमहालय समर्थक कहते हैं कि— ताजमहल के अंदर बंद कमरे हैं, जिनमें शिवलिंग और हिन्दू चिन्ह हो सकते हैं। इसमें कुछ वास्तुशिल्प, राजपूती और हिन्दू मंदिर शैली में मिलते हैं। पुराने दस्तावेज़ों और किताबों में भी इसे तेजोमहालय के नाम से उल्लेखित किया गया है।”
[सच्चाई और निष्कर्ष]
दोस्तों, ताजमहल भारत की शान है। लेकिन अभी यह जांच का विषय है कि ताजमहल शाहजहाँ का मकबरा है या प्राचीन शिव मंदिर तेजोमहालय ? क्योंकि इसकी जांच अभी भी जारी है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि यह हमारी संस्कृति और इतिहास की अनमोल धरोहर है। इतिहासकारों के लिए यह रिसर्च का विषय हो सकता है, लेकिन हमारे लिए यह गर्व की बात है कि भारत की भूमि पर इतनी महान इमारत खड़ी है। 
जैसा कि आपको पता है कि भारतवर्ष पर सैकड़ों सालों तक मुगलों का राज रहा है इसलिए इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि मुगलों ने प्राचीन मंदिर को कब्जा कर लिया हो और उसका नाम बदलकर ताजमहल कर दिया हो। 
“इसलिए ताजमहल और तेजोमहालय को लेकर विवाद जारी है। एक ओर यह प्रेम का प्रतीक माना जाता है, तो दूसरी ओर इसे प्राचीन मंदिर बताने वाले भी हैं। लेकिन सच क्या है, इसका फ़ैसला इतिहास के गहरे शोध से ही हो सकता है।” असली मायने यह है कि यह इमारत हमारी संस्कृति और स्थापत्य कला का अनमोल रत्न है। 
तो आपके अनुसार, ताजमहल प्रेम का प्रतीक है या शिव मंदिर तेजोमहालय ? कमेंट में ज़रूर बताइए।”

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06 जुलाई 2025

महिला और पुरुष दोनों को मिलेंगे 3000 रुपये प्रतिमाह जल्दी करें आवेदन


अगर आप श्रमिक है और 60 वर्ष की उम्र के बाद आर्थिक तंगी से जूझना नहीं चाहते हैं तो ई-श्रम कार्ड पेंशन योजना (E Shram Card Pension Yojana) आपके लिए बहुत ही उपयोगी हो सकती हैं । जी  हाँ दोस्तों केंद्र सरकार द्वारा देश के करोडो श्रमिकों और मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए ये योजना चलाई जा रही है। 

इस योजना का उद्देश्य क्या है आइये जानते है 
इस  योजना का मुख्या उद्देश्य ६० वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगो की आर्थिक मदद करना है जो बढ़ती उम्र के बाद काम करने की स्थिति में नहीं होते है।  खासकर बुजुर्गो के लिए ये योजना एक वरदान से कम नहीं है. यह योजना वृद्धावस्था में उनके खर्चो को सम्भलने में मदद करती है और उनको आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है।  ताकि वृद्ध मजदुर अपने जीवन के अंतिम पड़ाव को सम्मानपूर्वक जी सके। 
ई श्रम कार्ड पेंशन योजना के लिए पात्रता क्या है आइये जानते है। 
इस योजना में पात्रता की शर्ते निम्नानुसार है - 
  • ऐसे व्यक्ति जिनकी उम्र ६० वर्ष या उससे अधिक है।  
  • उनकी मासिक आय १५००० से अधिक नहीं है। 
  • भारतीय नागरिक हो और असंगठित क्षेत्र में कार्य करते हो। 
  •  उनके पास वैध ई श्रम कार्ड हो। 
ऐसे लोग जो पहले से किसी सरकारी अन्य सरकारी पेंशन योजना  का लाभ नहीं ले रहे है , उन्हें इस योजना में प्राथमिकता जाएगी।  साथ ही महिला या पुरुष दोनो को इस योजना में समान रूप से शामिल किया जायेगा।  
ई श्रम कार्ड पेंशन योजना के लिए आपके पास क्या क्या दस्तावेज होना अनिवार्य है आइये जानते है -
ई श्रम कार्ड पेंशन योजना के लिए आपके पास निम्न दस्तावेज होना चाइये -
  • आधार कार्ड 
  • पासपोर्ट फोटो 
  • बैंक पास बुक 
  • मोबाइल नंबर 
  • मूल निवासी और आय का प्रमाण पत्र 

आइये जानते है की आप इस योजना में आवेदन कैसे कर सकते हो -
  • इस योजना में आवेदन करने के लिए सबसे पहले इसके आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। 
  • इसकी वेब साइट पर पंजीकरण को क्लिक करके अप्लाई नाउ पर क्लिक करे। 
  • अब एक आवेदन फॉर्म खुल जायेगा , इस आवेदन फॉर्म में अपनी समस्त जानकारी भर दीजिये जैसे, नाम , आधार कार्ड, मोबाइल नंबर , उम्र आदि जानकारी भर दीजिये।  
  • अब अपने सभी जरुरी दस्तावेज इसमें उपलोड कर दीजिये।  
  • अब सबमिट पर क्लिक कर दीजिये।  
  • इस प्रकार आपका ई श्रम कार्ड पेंशन योजना का फॉर्म जमा हो जाएगा।  
इस प्रकार आप ६० वर्ष की उम्र के बाद ३००० रुपये प्रतिमाह के रूप में इस पेंशन योजना का लाभ ले सकते है।
इसी प्रकार की जानकारियों को प्राप्त  करने के लिए इस पेज को फॉलो करे और अपने दोस्तों को भी शेयर करे।    

10 जून 2025

अब समझ आया... वो तीर असल में विज्ञान था

"अब समझ आया... वो तीर असल में विज्ञान था!"
बचपन में जब मैं रामायण और महाभारत जैसे धारावाहिक देखता था, तो युद्ध के दृश्य मेरे मन को रोमांच से भर देते थे। रंग-बिरंगे तीर, एक-दूसरे से टकराते हुए… रथों का टूटना, धनुषों का कटना, और पृष्ठभूमि में गूंजती दिव्य चौपाइयाँ – वो सब किसी जादू से कम नहीं लगता था।

तब सोचा करता था– क्या ये सब केवल कल्पना है? अलंकार मात्र?

पर आज… जब मैंने D4 एयर डिफेंस सिस्टम और ऑपरेशन सिंदूर में ‘तीर से तीर’ यानी मिसाइल से मिसाइल को टकराकर हवा में ही खत्म होते देखा — मेरी आंखें भर आईं… क्योंकि मेरे धर्मग्रंथ अब कल्पना नहीं, साक्षात् सत्य लगने लगे।

आज जब मैं भारत के रक्षा कवच को देखता हूँ, तो मुझे सिंहिका की याद आती है — रामायण की वो राक्षसी जो आकाश मार्ग से जाने वाले प्राणियों की छाया पकड़ती थी। क्या ये समुद्र के नीचे रावण द्वारा स्थापित एयर डिफेंस सिस्टम नहीं था?

और लक्ष्मण रेखा? क्या वह अदृश्य लेज़र बीम प्रोटेक्शन जैसा नहीं था? जो दिखाई नहीं देता था, लेकिन कोई पार करता तो जलकर भस्म हो जाता!
महाभारत में संजय द्वारा धृतराष्ट्र को युद्ध का आंखों देखा हाल सुनाना — क्या वो किसी आधुनिक लाइव ब्रॉडकास्ट या सैटेलाइट फीड से कम था?

सच कहूं, आश्चर्य इस बात पर नहीं होता कि वो सब तकनीकें थीं...
आश्चर्य इस बात पर होता है कि जब पश्चिम के लोग गुफाओं में रहते थे, तब मेरे पूर्वज मिसाइल डिफेंस सिस्टम और एयर वॉर टेक्नोलॉजी इस्तेमाल कर रहे थे।
अब तो गर्व होता है — हर चौपाई, हर श्लोक, हर रेखा पर।
मेरे धर्मग्रंथ केवल आध्यात्मिक नहीं, वैज्ञानिक भी हैं।
और मेरे पूर्वज — केवल ऋषि नहीं, ब्रह्मज्ञानी वैज्ञानिक भी थे।

गर्व है मुझे — अपने सनातन धर्म पर, अपनी संस्कृति पर, और उन ग्रंथों पर जिन्हें आज की वैज्ञानिक आँखें भी झुककर नमन करते हैं।

🚩 जय श्रीराम।
जय सनातन।
जय महाकाल। 🚩

26 फ़रवरी 2025

सोमनाथ मंदिर, ज्योर्तिलिंग और उसके रहस्य 🚩 विज्ञान भी हैरान

Somnath Mandir ke Rahasya भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से सबसे प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ को माना गया है। सोमनाथ मन्दिर वर्तमान में गुजरात राज्य के काठियावाड़ क्षैत्र में स्थित हैं। इस मंदिर पर कई बार हमले हुए और इसकी संपत्ति को लूटा गया है। प्रथम बार महमूद गजनवी ने सन् 1025 में मन्दिर पर आक्रमण किया था और मन्दिर की सम्पत्ति को लूटकर इस मन्दिर को नष्ट कर दिया था।
जिसके बाद इस सोमनाथ मंदिर को मुस्लिम आक्रांताओं ने कुल 17 बार आक्रमण किए और इसकी संपत्ति को लूट कर मंदिर तुड़वाया तथा हर बार हिन्दू राजाओं ने इसका पुनः निर्माण कराया।
आइए जानते हैं सोमनाथ मंदिर (Somnath Mandir) के रहस्य के बारे में 
सोमनाथ मन्दिर का वास्तु और शिल्प अद्भुत है। मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के प्रथम वास्तुविद भगवान विश्वकर्मा स्वयं ने इसकी संरचना तैयार की। इस मन्दिर में हवा में तैरता प्राचीन शिवलिंग था जो चुम्बकीय गुण के कारण हवा में तैरता था। जो आज भी विज्ञान की पहुंच से दूर है। मन्दिर की दीवारों में धातुओं की इस प्रकार परत लगाई गई की शिवलिंग चुम्बकीय शक्ति के कारण हवा में तैरता था। एक और रहस्य है वो बाण स्तम्भ जिसको लेकर विज्ञान आज भी अचंभित है।
सोमनाथ मन्दिर के दक्षिण में समुद्र किनारे एक स्तंभ है जिसे बाण स्तम्भ कहा जाता है। यह स्तंभ अति प्राचीन है । छठी शताब्दी में बाण स्तम्भ का उल्लेख मिलता हैं। इस बाण स्तम्भ के ऊपर पृथ्वी की मूर्ति और एक तीर रख कर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मन्दिर और दक्षिण ध्रुव के बीच पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है। “आसमुद्रान्त दक्षिण ध्रुव पर्यत अबाधित ज्योतिर्मार्ग ”
इस स्तम्भ को बाण स्तम्भ कहते हैं। 
आखिर कैसे हमारे ऋषियों मुनियों ने हजारों वर्ष पहले ध्रुवों और पृथ्वी की संरचना के बारे में जान लिया था। कितना समृद्ध ज्ञान रहा होगा उस समय । जो आज के विज्ञान से कितना आगे था। यहीं सनातन संस्कृति की विशालता है। आज सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या उस काल में भी लोगों को यह जानकारी थी कि दक्षिण ध्रुव कहा है और धरती गोल हैं। कैसे उन लोगों ने इस बात का पता लगाया होगा कि बाण स्तम्भ के सीध में कोई बाधा नहीं है। आज के युग में तो यह विमान और सेटेलाइट के माध्यम से ही पता लगाया जा सकता हैं।
अब दक्षिणी ध्रुव से भारत के पश्चिमी तट पर बिना किसी बांधा के जिस स्थान पर सीधी रेखा मिलती हैं, वहा ज्योतिर्लिंग स्थापित है। जिसे भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में पहला माना जाता हैं। इस बाण स्तम्भ पर लिखें श्लोक की अन्तिम पंक्ति —

अबाधित ज्योतिर्मार्ग” भी किसी रहस्य से कम नहीं है। क्योंकि अबाधित और मार्ग तो समझ में आता है लेकिन ज्योतिर्मार्ग क्या है यह आज भी विज्ञान के लिए एक बड़ा रहस्य बना हुआ है। 

तो दोस्तों श्री सोमनाथ मंदिर के बारे में जानकारी कैसी लगी कॉमेंट जरूर करें और वीडियो को अपने दस्तों रिश्तेदारों को शेयर भी करे ताकि हमारे सनातन धर्म की विशालता सबको पता चले। 
धन्यवाद। 🙏🏼🙏🏼

14 फ़रवरी 2025

चाणक्य नीति : बुद्धिमान व्यक्ति इन 4 जगहों पर कभी नहीं बोलते हैं

आचार्य चाणक्य ने अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर एक ग्रंथ की रचना की, जिसे आज चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है. इस ग्रंथ को ज्ञान का महासागर कहा जाता है, क्योंकि इस ग्रंथ में चाणक्य ने जीवन के विभिन्न पहलुओं के कई राज उजागर किए हैं. चाणक्य नीति में न सिर्फ मनुष्य के गुणों का वर्णन किया गया है, बल्कि कई अवगुणों के बारे में भी बताया गया है. इतना ही नहीं इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि मनुष्य को कब बोलना चाहिए और कब नहीं. जो भी व्यक्ति चाणक्य नीति में बताई गई बातों को अच्छे से समझ लेता है, वह हर मुश्किल से आसानी से पार पा सकता है, क्योंकि उसे इंसान को परखने की काबिलियत आ जाती है. ऐसे ही चाणक्य नीति में बताया गया है कि मनुष्य को अपने जुबान पर नियंत्रण रखना चाहिए. हर जगह बोलना सही नहीं होता है. कुछ जगहों पर चुप रहने में ही भलाई होती है. ऐसे में इन जगहों पर मनुष्य को चुप रहना चाहिए, नहीं तो उसका बना बनाया काम बिगड़ सकता है.
आए दिन कहीं न कहीं झगड़े होते रहते हैं. इस दौरान कुछ लोग बिन बुलाए मेहमान की तरह झगड़े की जगह पर पहुंच जाते हैं और सलाह देने लेते हैं. इन्हीं लोगों के लिए चाणक्य नीति में बताया गया है कि जहां पर लोग झगड़ा कर रहे हैं या किसी जगह पर झगड़ा हो रहा है, वहां चुप रहने में ही भलाई होता है. जब तक कोई आकर कुछ कहे न तब तक किसी झगड़े में बोलना नहीं चाहिए.

अक्सर कुछ लोगों को अपनी तारीफ करना बहुत पसंद होता है. ऐसे में चाणक्य नीति में बताया गया है कि जो इंसान खुद की तारीफ कर रहा हो, वहां पर बोलना सही नहीं होता है. वहां पर चुप रहना ही सही होता है. इस जगह अगर आप कुछ बोलते हैं, तो आप अपमानित हो सकते हैं
एक कहावत है कि अधजल गगरी छलकत जाय. यानी कि मटका अगर खाली रहता है, तो उसमें से पानी छलकता रहता है और जब वह पूरा भरा होता है, तो नहीं छलकता है. इसी तरह मनुष्य का भी स्वभाव होता है. आधी अधूरी जानकारी वाला व्यक्ति बहुत उतावला होता है और जिसे ज्ञान होता है वह शांत स्वभाव का होता है. ऐसे ही लोगों के लिए चाणक्य नीति में लिखा गया है कि मनुष्य को आधी जानकारी में चुप रहना ही सही होता है

चाणक्य नीति के अनुसार, जब मनुष्य आपके सामने अपना दुख-दर्द या परेशानी को साझा करे, तो उस दौरान उसकी बातों को ध्यान से सुनना चाहिए. इस समय मनुष्य को चुप रहना ही सही होता है.

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देवव्रत महेश रेखे - यह कोई साधारण बालक नहीं है।

देवव्रत महेश रेखे ✌️🙏 (अहिल्यानगर, महाराष्ट्र) ने सिर्फ 19 वर्ष की आयु में दण्डक्रम वेद पारायण के अंतर्गत 🔱 25 लाख से भी अधिक पदों का 🔱 ल...