25 मई 2023

सेंगोल क्या है? | What Is Sengol in Hindi

What is Sengol in Hindi - जानिए क्या है सेंगोल? 

भारत में बने नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के बीच सियासी जंग छिड़ी हुई है। 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी इस नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इसी बीच नए संसद भवन के उद्घाटन से पूर्व ही भारतीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सेंगोल को भारत के नवनिर्मित संसद भवन में स्थापित करने का ऐलान भी किया है। 
अब आपके मन में यह सवाल ज़रूर आ रहा होगा कि आख़िर सेंगोल क्या है? इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है? इसका इतिहास क्या है? अब आप सोच रहे होंगे कि ये सेंगोल क्या है ? जिसको नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। 
तो आइए जानते हैं सैंगोल के बारे में। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सेंगोल का इस्तेमाल भारतीय राजदंड के रूप में किया जा रहा है और इसकी स्थापना नए संसद भवन में की जायेगी। (What Is Sengol in Hindi)
सेंगोल का इतिहास (History of Sengol in Hindi)
कहां रखा गया था सेंगोल? नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा सेंगोल राजदंड– चोल साम्राज्य में जब कोई राजा अपना नया उत्तराधिकारी घोषित करता था तो उस नए उत्तराधिकारी को सेंगोल राजदंड को एक प्रतीक के रूप में सौंपता था। दक्षिण भारत में तमिलनाडु में सेंगोल राजदंड को निष्पक्ष और न्याय प्रिय शासन का प्रतीक माना जाता है।
तमिलनाडु राज्य में सेंगोल को विरासत और परंपरा का प्रतीक माना जाता है, जो अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रमों, त्योहारों और महत्त्वपूर्ण अनुष्ठानों का आवश्यक हिस्सा भी है। 
आपको बता दें कि इसी निष्पक्ष और न्याय प्रिय शासन के प्रतीक के तौर पर अब इसकी स्थापना भारत के नए संसद भवन में की जाएगी। नवनिर्मित संसद भवन में सेंगोल को स्पीकर की सीट के बगल में स्थापित किया जाएगा। नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना भारत की हजारों साल पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित कर देगी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सेंगोल का इतिहास केवल चोल राजवंश साम्राज्य तक ही सीमित नहीं है बल्कि कुछ इतिहास विशेषज्ञ इसका इस्तेमाल चोल साम्राज्य के अलावा मौर्य एवं गुप्त राजवंश के दौरान भी मानते हैं। 

सेंगोल का इतिहास (History of Sengol in Hindi)
भारत में सेंगोल का इतिहास कई हजार साल पुराना है। सेंगोल के इतिहास की शुरुआत भारत के चोल राजवंश से शुरू होती है।

कहा जाता है कि चोल साम्राज्य के दौरान जब सत्ता का हस्तांतरण होता था तो निवर्तमान राजा सत्ता की शक्ति के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में सेंगोल राजदंड अपने उत्तराधिकारी को सौंप देता था।

सेंगोल के आधुनिक इतिहास में भारत की आजादी का भी एक किस्सा जुड़ा हुआ है। आजादी के दौरान भारत की स्वतंत्रता संप्रभुता और सत्ता हस्तांतरण के तौर पर यह सेंगोल राजदंड भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी को प्रतीक के रुप में सौंपा गया था। 

देश की आजादी के दौरान भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन सत्ता का हस्तांतरण करने के लिए कागजी प्रक्रिया पूरी कर रहे थे। 

इस दौरान उनके मन में यह सवाल आया कि आखिर भारत की स्वतंत्रता तथा इसकी सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक क्या होगा? जवाहरलाल नेहरू जी के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था। इसीलिए उन्होंने लॉर्ड माउंटबेटन का यह सवाल भारत के पूर्व गवर्नर जनरल श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के पास लेकर गए। दक्षिण भारत से संबंध रखने वाले चक्रवर्ती राजगोपालाचारी जी को भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का बखूबी ज्ञान था। इसीलिए उन्होंने सेंगोल राजदंड का सुझाव उनके सामने रखा। दक्षिण भारत और तमिलनाडु में सेंगोल राजदंड  को आज भी सत्ता की शक्ति के साथ निष्पक्ष और न्याय प्रिय शासन का प्रतीक माना जाता है। चक्रवर्ती राजगोपालाचारी जी के सुझाव अनुसार जौहरी द्वारा सोने के सेंगोल का निर्माण करवाया गया तथा शीर्ष पर नंदी को विराजमान कराया गया। तैयार होने के बाद इस राजदंड को लॉर्ड माउंटबेटन के पास भेज दिया गया। कहा जाता है कि 14 अगस्त 1947 के दिन अर्धरात्रि के करीब यह स्वर्ण सेंगोल राजदंड तमिलनाडु की जनता द्वारा भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु जी को सौंप दिया गया। तभी से यह सेंगोल राजदंड भारत की आजादी और अंग्रेजों द्वारा भारत की सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बन गया।

कहां रखा गया था सेंगोल?
भारत के गृह मंत्री श्री अमित शाह द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार सेंगोल राजदंड अभी तक प्रयागराज के संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया था। जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को इस राज दंड के बारे में पता चला तो उन्होंने इसकी छानबीन कराई और इसी दौरान सेंगोल से जुड़ी यह सभी जानकारियां मिली। नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा सेंगोल राजदंड। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह सेंगोल राजदंड 28 मई 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन के साथ ही स्पीकर की कुर्सी के बगल  स्थापित किया जाएगा। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व प्रकाशित करना तथा हजारों साल पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित करना है। 

आज इस पोस्ट के जरिए हमने आपके साथ सेंगोल से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। उम्मीद करता हूं कि आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा। 

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