18 जुलाई 2020

स्ट्रेचर पर पड़ी हुई एक नोंजवान की लाश और शोकाकुल परिजन।

यह एक अपराधी है जिसका एनकाउंटर हुआ है । इसका अपराध था कि इसे 10 th में 90% से ज्यादा नंबर नहीं आए । भला ऐसे अपराध के बाद जीने का हक़ है?
तो एनकाउंटर हो गया !!

एनकाउंटर हमने और इस समाज ने मिलकर किया । हमने भी समाज ने भी मीडिया ने भी बेटे बेटियों के 98% ,100% नंबरों के साथ फोटो छपवाए,लड्डू खिलाते,विक्टरी साइन बनाते,खिलखिलाते , ठहाके लगाते फोटो,पोस्ट.... जो कि गलत भी नहीं है 
टौपर के फोटो छपे, उनके इंटरव्यू छपे ,खैर ये तो उनका काम है। 
 
लेकिन क्या हमने सिक्के के दूसरे पहलू को देखा । क्या हमने यह देखा कि समाज में अन्य माता पिता में,  बच्चो में इन सब का दूसरा संदेश भी जाता है 

हमने कभी सोचा कि जिसे 70% से 60% या उससे कम मार्क्स आए है उनका क्या होगा ।
उनके प्रति लोगों के विचार क्या होंगे और इन सब के बीच उन बच्चो की मानसिक स्थिति क्या होगी । यह कभी सोचा है ।

जिन्हें कम नंबर आए या जो फेल भी हो जाएं उसे भी तो ज़िन्दा रहने का हक है। लेकिन हमारी विचारधारा ने उनको अंत की और ले जाकर खड़ा कर दिया । परीक्षा  परिणाम के डर से या परिणाम आने के बाद क्यों हजारों बच्चे अपने जीवन का अंत कर लेते है?
इस और किसी का ध्यान नहीं जाता ।

जरूरत है परिवर्तन की जिसे हम आप सरकार प्रशासन मीडिया सभी मिलकर ला सकते है

हमारी शिक्षा पद्धति नौकर पैदा कर रही है ....स्वरोजगार और जीवन खत्म कर रही है .....
अब भी समझ जाईये वर्ना आने वाली नस्ले तबाह हो जाएगी 😢😢😢

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