02 फ़रवरी 2014

विदेशी सोच की उपज है कांग्रेस पार्टी ...

विदेशी सोच की उपज है कांग्रेस पार्टी ...

दोस्तों,तत्कालीन ब्रिटिश भारत में अंग्रेजों के खिलाफ हमेशा बिगुल फूंके जाते रहे हैं. अंग्रेजों ने भारतीय राष्ट्रवादी लोगों की एकता को कुचलने के लिए बड़ी साजिश के तहत ब्रिटिश सरकार के अधीन एक संस्था का निर्माण किया, जिसके करता धर्ता एक सेवानिवृत अंग्रेज अफसर अ ओ ह्युम थे. ह्युम के अफसर होने के कार्यकाल के दौरान ही कई भारतियों को आज़ादी के लिए खड़े होने के कारन मार दिया जाता रहा,लेकिन ह्युम के बारे में एक शब्द भी इतिहासकारों ने नहीं बताया क्यू की कांग्रेस ने इतिहास को भी मीडिया की तरह ही खरीद कर बनाया हुवा है ....

आज़ादी के बिगुल को रोकने के लिए बनायीं गयी अंग्रेजों की कांग्रेस पार्टी कभी भी भारतीय जनमानस के अनुरूप काम कर ही नहीं पाई. अंग्रेजों के द्वारा बनाये गए अपनी पार्टी के संविधान के अनुरूप इन्होने केवल और केवल विदेशी मानसिकता को ही अपनाया है.स्वराज की बात करने के लिए तो इन्होने अपने नेता मोतीलाल नेहरु और चितरंजन दास तक को निकाल दिया था. ब्रिटिश सरकार की बातो का समर्थन करते रहने वाली कांग्रेस पार्टी का विरोध करने पर उसी पार्टी में बाल गंगाधर तिलक जैसे राष्ट्रवादी नेतावों को भी हाशिये पे धकेल दिया गया.ब्रिटिश सम्राट जोर्ज पंचम के भारत आगमन पर दिल्ली दरबार के लगाये जाने पे कांग्रेस के कई बड़े नेता उस वक़्त सजदा करते देखे गए थे. तुष्टिकरण की राजनीती के विरोध में आवाज उठाने पे मदन मोहन मालवीय जी को किनारे कर दिया गया था.लाला लाजपत राय जैसे देशभक्त नेता की मौत के जिम्मेदार अंग्रेज अफसर को मारने वाले क्रन्तिकारी नेता को बचाने के लिए शायद ही कांग्रेस ने कोई भी कदम उठाया था.यहाँ तक की भगत सिंह की फांसी जो टाली जा सकती थी, उसके लिए मुख्य जिम्मेदार कांग्रेस पार्टी ही रही है.खिलाफत आन्दोलन के वक़्त जब हिन्दू-मुस्लिम एकता का नायाब उदहारण देखने को मिल रहा था तो बड़ी चाल के साथ कांग्रेस पार्टी ने आन्दोलन को ही बर्बाद कर दिया..असहयोग आन्दोलन,स्वदेशी आन्दोलन,सविनय अवज्ञा आन्दोलन जैसे कई उदहारण हमारे सामने हैं जब देश के लोगों के सामने से आज़ादी की थाल कांग्रेस की अंग्रेजों को खुश रखने की निति के कारन छीन ली जाती रही. १९३९ में भी किसी खास व्यक्ति को खुश करने के लिए सुभाष चन्द्र बोस जैसे महँ नेता को कांग्रेस से इस्तीफा देना पड़ा.बाबा साहेब आंबेडकर के साथ क्या क्या साजिश रचा गया की उनको संसद तक न आने दे, ये सबको पता है.

ये कांग्रेस किस मुंह से लोगों के पास आती है. किस मुंह से कहती है की वो आज़ादी की लडाई में जित कीश्रेय का हकदार है. जो कांग्रेस अपना इतिहास शुरू से लेकर आज तक विदेशों के पैरों तले गिरवी रखती आई है, वो कभी भारत के लोगों की सोच ही नहीं सकती.कांग्रेस केवल और केवल वंशवाद की प्रतिक है.इनको देश के सम्मान,विकास और अखंडता से कोई वास्ता आज तक रहा ही नहीं.आज इस विदेशी सोच की उपज को ढोती आ रही कांग्रेस पार्टी की कलई तो भारत के लोगों में खुल चुकी है. देखना है २०१४ लोकसभा में इनका इतिहास बचता भी है या खुद इतिहास बन जायेंगे 

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