29 जुलाई 2013

गो -हत्या का अर्थशास्त्र :

गो -हत्या का अर्थशास्त्र :
 भारत में गाय का मांस 120/- रुपये किलो खुलेआम बिक
 रहा है और एक गाय-भैंस-बैल के कटनेपर लगभग 350 किलोमांस
 निकलता है और चमड़े और हड्डियों की अलग से कीमत
 मिलती है ! जो पशु औसतन 8000- 9000में गाव मिल
 जा रहे हैं और सुखा वाले प्रदेशो में तो यह 3000/- में
 ही मिल जा रहे हैं.
 पशु की कीमत 8000/-
 उसे काटने से मिला मांस 350 किलो
 भारत में उस मांस का दाम = 350 x 120/- = 42,000/-
 रुपये
 चमड़े का दाम = 1000/-
 विदेशो में निर्यात करने पर यही मांस 3 से 4 गुना दाम
 में बिकता है और यह निर्भर करता है कि किस देश में
 भेजा जा रहा हैं.
 किसान को मिला सिर्फ 9000/- रुपया
 और कत्लखाने चलाने वाले को मिला 43000 -
 9000 = 34,000/- रुपये
 भारत में एक एक कत्लखाने में 10000 से 15000 पशु
 रोज कट रहे हैं औसत 12000 पशु रोज का मानिए तो --
 यानी एक कत्लखाने मालिक को एक दिन में 34000/- x 12000 =
 40,80,00,000/- (चालीस करोड़ रुपये रोज का मुनाफा)
 यदि साल में 320 दिन यह काम चले तो 40 करोड़ x 320
 = 12800 करोड़ रुपये शुद्ध मुनाफा सालाना,
 तो सोचिये गाय का कत्लखाना चलाने वाला इसे
 क्यों बंद करेगा ! उसको जबरदस्ती बंद करवाना पड़ेगा और वो काम सरकार कर सकती है इसलिए गौरक्षक सरकार लानी होगी !!
 आप भी देखे और सुने

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