04 सितंबर 2020

बुरी से बुरी परिस्थिति में भी अपनी उम्मीद बनाये रखनी चाहिये |

  
      एक व्यक्ति रेगिस्तान में कहीं भटक गया | उसके पास खाने-पीने की जो थोड़ी बहुत चीजें थी वो जल्द ही खत्म हो गई और पिछले 2 दिनों से वह पानी की एक-एक बूंद के लिये तरस रहा था |

         वह मन ही मन जान चुका था कि अगले कुछ घंटों में अगर उसे कहीं से पानी नहीं मिला तो उसकी मैत निश्चित है | पर कहीं न कहीं उसे प्रारब्ध पर यकीन था कि मृत्यु होनी हो तो कोई रोक नहीं सकता और जीनी हो तो कोई मार नहीं सकता | और उसे पानी मिल जायेगा | तभी उसे एक झोपड़ी दिखाई दी | उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ | पहले भी वह मृगतृष्णा और भ्रम के कारण धोखा खा चुका था | पर बेचारे के पास यकीन करने के अलावा कोई चारा भी तो न था | आखिर यह उसकी आखिरी उम्मीद थी | वह अपनी बची खुची ताकत से झोपड़ी की तरफ चलने लगा | जैसे जैसे करीब पहुंचता उसकी उम्मीद बढ़ती जाति और इस बार भाग्य भी उसका साथ था | सचमुच वहां एक झोपड़ी थी | पर यह क्या ? झोपड़ी तो विरान पड़ी थी | मानो सालों से कोई वहां भटका न हो | फिर भी पानी की उम्मीद में वह व्यक्ति झोपड़ी के अंदर घुसा | अंदर का नजारा देख उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ |
        वहां एक हैंडपंप लगा था | वह व्यक्ति एक नई ऊर्जा से भर गया | पानी की एक-एक बूंद के लिये तरसता वह तेजी से हैंडपंप को चलाने लगा | लेकिन हैंडपंप तो कब का सूख चुका था | वह व्यक्ति निराश हो गया,उसे लगा कि अब उसे मरने से कोई नहीं बचा सकता | वह निढाल होकर गिर पढ़ा |

         तभी उसे झोपड़ी की छत से बंधी पानी से भरी एक बोतल दिखाई दी | वह किसी तरह उसकी तरफ लपका और उसे खोल कर पीने ही वाला था कि तभी उसे बोतल से चिपका एक कागज दिखा उस पर लिखा था इस पानी का प्रयोग हैंड पंप चलाने के लिये करो और वापिस बोतल भर कर रखना ना भूलना ?
         यह एक अजीब सी स्थिति थी | उस व्यक्ति को समझ नहीं आ रहा था कि वह पानी पिये या उसे हैंडपंप में डालकर चालू करे | उसके मन में तमाम सवाल उठने लगे,अगर पानी डालने पर भी पंप नहीं चला | अगर यहां लिखी बात झूठी हुई और क्या पता जमीन के नीचे का पानी सूख चुका हो | लेकिन क्या पता पंप चल ही पड़े, क्या पता यहां लिखी बात सच हो | वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करें ?

       फिर कुछ सोचने के बाद उसने बोतल खोली और कांपते हाथों से पानी पंप में डालने लगा | पानी डालकर उसने गुरु से प्रार्थना की और पंप चलाने लगा |एक, दो, तीन,और हैंडपंप से ठंडा पानी निकलने लगा | वह पानी किसी अमृत से कम नहीं था | उस व्यक्ति ने जी भर कर पानी पिया, उसकी जान में जान आ गई | दिमाग काम करने लगा | उसने बोतल में फिर से पानी भर दिया और उसे छत से बांध दिया | जब वो ऐसा कर रहा था,तभी उसे अपने सामने एक और शीशे की बोतल दिखी | खोला तो उसमें एक पेंसिल और एक नक्शा पड़ा हुआ था, जिसमें रेगिस्तान से निकलने का रास्ता था |

         उस व्यक्ति ने रास्ता याद डकर लिया और नक्शे वाली बोतल को वापस वही रख दिया | और पानी से भरी बोतल पर चिपके कागज को उतारकर उस पर उसने लिखा मेरा यकीन कीजिये यह यह हैंडपंप काम करता है |

         यह कहानी संपूर्ण जीवन के बारे में है | यह हमें सिखाती है कि बुरी से बुरी स्थिति में भी अपनी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिये और इस कहानी से यह भी शिक्षा मिलती है कि कुछ बहुत बड़ा पाने से पहले हमें अपनी ओर से भी कुछ देना होता है | जैसे उस व्यक्ति ने नल चलाने के लिये मौजूद पूरा पानी उसमें डाल दिया | देखा जाय तो इस कहानी में पानी, जीवन में मौजूद महत्वपूर्ण चीजों को दर्शाता है, कुछ ऐसी चीजें जिनकी हमारी नजरों में विशेष कीमत है | किसी के लिये मेरा यह संदेश ज्ञान हो सकता है, तो किसी के लिये प्रेम, तो किसी और के लिये पैसा | यह जो कुछ भी है, उसे पाने के लिये पहले हमें अपने तरफ से उसे कर्म रूपी हैंडपंप में डालना होता है और फिर बदले में आप अपने योगदान से कहीं अधिक मात्रा में उसे वापिस पीते हैं |

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