20 नवंबर 2011

सरकार कब तक जनता को मुर्ख समझेगी ?

हर एक डिबेट में सरकार के नेता तेल की कीमतों के बढ़ोतरी को जायज ठहराते है और सरकार को हो रहे नुकसान का रोना रोते है लेकिन सरकार कब तक जनता को मुर्ख समझेगी ?
आज कच्चे तेल की कीमत है 90 डॉलर प्रति बैरेल यानि 25.50 रूपये प्रति लीटर
एक लीटर कच्च...तेल को रिफाइन करने का खर्च है .20 पैसे .
यानि 
सरकार को एक लीटर पेट्रोल की लागत आयी रूपये – 25.70
अब असली खेल यहाँ से शुरू होता है
सरकार कच्चे तेल पर 17 % इम्पोर्ट ड्यूटी लेती है . [केंद्र सरकार के खाते में जाता है] 
25.70 का 17 % = 30.06
13 % उत्पाद कर [एक्साइज ] [केंद्र सरकार के खाते में जाता है ]
30.06 + 13% = 34
पोर्ट टैक्स [ तेल के टेंकर से वसूला जाता है ] केन्द्र सरकार
१५०० डॉलर छोटे टेंकर से और २५००० डॉलर बड़े टेंकर से
एक लीटर पर करीब ३ % होगा
34 + 3% = 35.02
8 % रिफाइनरी मार्जिन टैक्स [केंद्र सरकार के खाते में जाता है ]
35.02 +8% = 37.82
8% से 12.5 % तक वैट [ राज्य सरकार ]
37.82+ 12.5% = 42.54
4 % से 8 % तक एडुकेशनल सेस [ राज्य सरकार ]
42.54+8% = 46
यानि सरकार एक लीटर पेट्रोल से २० रूपये पचीस पैसे पहले ही कमा लेती है .
फिर भी आज पेट्रोल 71.25 रूपये में बिक रहा है क्यों ? 
बाकि 31.25 रुपये कहा जा रहे हे ?

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