Anna Hazare--- अन्ना हजारे का वास्तविक नाम किसन बाबूराव हजारे है. 15 जून 1938 को महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना हजारे का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा. पिता मजदूर थे, दादा फौज में थे. दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी. अन्ना के पुश्तैनी गांव अहमद नगर जिले में स्थित रालेगन सिद्धि में था. दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया. अन्ना के 6 भाई हैं.
परिवार में तंगी का आलम देखकर अन्ना की बुआ उन्हें मुम्बई ले गईं. वहां उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की. परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचनेवाले की दुकान में 40 रुपये की पगार में काम करने लगे. इसके बाद उन्होंने फूलों की अपनी दुकान खोल ली और अपने दो भाइयों को भी रालेगन से बुला लिया.
छठे दशक के आसपास वह फौज में शामिल हो गए. उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राइवर पंजाब में हुई. यहीं पाकिस्तानी हमले में वह मौत को धता बता कर बचे थे. इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक पुस्तक 'कॉल टु दि यूथ फॉर नेशन' खरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी. उन्होंने गांधी और विनोबा को भी पढ़ा.
1970 में उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प किया. मुम्बई पोस्टिंग के दौरान वह अपने गांव रालेगन आते-जाते रहे. जम्मू पोस्टिंग के दौरान 15 साल फौज में पूरे होने पर 1975 में उन्होंने वीआरएस ले लिया और गांव में आकर डट गए. उन्होंने गांव की तस्वीर ही बदल दी. उन्होंने अपनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी. आज उनकी पेंशन का सारा पैसा गांव के विकास में खर्च होता है. वह गांव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं. आज गांव का हर शख्स आत्मनिर्भर है. आस-पड़ोस के गांवों के लिए भी यहां से चारा, दूध आदि जाता है. गांव में एक तरह का रामराज है. गांव में तो उन्होंने रामराज स्थापित कर दिया है. अब वह अपने दल-बल के साथ देश में रामराज की स्थापना की मुहिम में निकले हैं.
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