प्रधानमंत्री जी, "भोजन करने", "खाने" और "भकोसने" में अन्तर करना सीखिये…
Indians eating more, Manmohan Singh, Sharad Pawar
कुछ दिनों पहले ही भारतवासियों ने हमारे लाचार और मजबूर प्रधानमंत्री के मुखारविन्द से यह बयान सुना है कि “भारतीय लोग ज्यादा खाने लगे हैं इसलिये महंगाई बढ़ी है…”, लगभग यही बयान कुछ समय पहले शरद पवार और मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी दे चुके हैं। तात्पर्य यह कि अब देश का उच्च नेतृत्व हमारे “खाने” पर निगाह रखने की कवायद कर रहा है।
भारतीय संस्कृति और सभ्यता में आमतौर पर माना जाता है कि किसी व्यक्ति को किसी के “भोजन” पर नज़र नहीं रखनी चाहिये। अक्सर सभी ने देखा होगा कि या तो व्यक्ति एकान्त में भोजन करना पसन्द करता है अथवा यदि समूह में भोजन कर रहा हो तो उस स्थल पर उपस्थित सभी को उसमें शामिल होने का निमन्त्रण दिया जाता है… यह एक सामान्य शिष्टाचार और सभ्यता है। प्रधानमंत्री, कृषिमंत्री और योजना आयोग के मोंटेक सिंह ने “भारतीय लोग ज्यादा खाने लगे हैं…” जैसा गरीबों को “चिढ़ाने और जलाने” वाला निष्कर्ष पता नहीं किस आधार पर निकाला है…। जब इन्हें बोलने का हक प्राप्त है तो हमें भी इनके वक्तव्य की धज्जियाँ उड़ाने का पूरा हक है… आईये देखते हैं कि भारतीयों द्वारा “ज्यादा खाने” सम्बन्धी इनका दावा कितना खोखला है…
व्यक्ति का मोटापा मापने का एक वैज्ञानिक तरीका है BMI Index (Body Mass Index)। साबित तथ्य यह है कि जिस देश की जनता को अच्छा और पौष्टिक भोजन सतत उचित मात्रा में प्राप्त होता है उस देश की जनता का BMI सूचकांक बढ़ता है, हालांकि यह सूचकांक या कहें कि वैज्ञानिक गणना व्यक्तिगत आधार पर की जाती है, लेकिन पूरी जनसंख्या का सामान्य औसत निकालकर उस देश का BMI Index निकाला जाता है। आम जनता को समझ में आने वाली सादी भाषा में कहें तो BMI Index व्यक्ति की ऊँचाई और वज़न के अनुपात के गणित से निकाला जाता है, इससे पता चलता है कि व्यक्ति “दुबला” है, “सही वज़न” वाला है, “मोटा” है अथवा “अत्यधिक मोटा” है। फ़िर एक बड़े सर्वे के आँकड़ों के आधार पर गणना करके सिद्ध होता है कि वह देश “मोटा” है या “दुबला” है… ज़ाहिर है कि यदि मोटा है मतलब उस देश के निवासियों को पौष्टिक, वसायुक्त एवं शुद्ध भोजन लगातार उपलब्ध है, जबकि देश दुबला है इसका अर्थ यह है कि उस देश के निवासियों को सही मात्रा में, उचित पौष्टिकता वाला एवं गुणवत्तापूर्ण भोजन नहीं मिल रहा है… यह तो हुई BMI सूचकांक की मूल बात… अब एक चार्ट देखते हैं जिसके अनुसार वैज्ञानिक रुप से कितने “BMI के अंक” पर व्यक्ति को “दुबला”, “मोटा” और “अत्यधिक मोटा” माना जाता है…
Indians eating more, Manmohan Singh, Sharad Pawar
कुछ दिनों पहले ही भारतवासियों ने हमारे लाचार और मजबूर प्रधानमंत्री के मुखारविन्द से यह बयान सुना है कि “भारतीय लोग ज्यादा खाने लगे हैं इसलिये महंगाई बढ़ी है…”, लगभग यही बयान कुछ समय पहले शरद पवार और मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी दे चुके हैं। तात्पर्य यह कि अब देश का उच्च नेतृत्व हमारे “खाने” पर निगाह रखने की कवायद कर रहा है।
भारतीय संस्कृति और सभ्यता में आमतौर पर माना जाता है कि किसी व्यक्ति को किसी के “भोजन” पर नज़र नहीं रखनी चाहिये। अक्सर सभी ने देखा होगा कि या तो व्यक्ति एकान्त में भोजन करना पसन्द करता है अथवा यदि समूह में भोजन कर रहा हो तो उस स्थल पर उपस्थित सभी को उसमें शामिल होने का निमन्त्रण दिया जाता है… यह एक सामान्य शिष्टाचार और सभ्यता है। प्रधानमंत्री, कृषिमंत्री और योजना आयोग के मोंटेक सिंह ने “भारतीय लोग ज्यादा खाने लगे हैं…” जैसा गरीबों को “चिढ़ाने और जलाने” वाला निष्कर्ष पता नहीं किस आधार पर निकाला है…। जब इन्हें बोलने का हक प्राप्त है तो हमें भी इनके वक्तव्य की धज्जियाँ उड़ाने का पूरा हक है… आईये देखते हैं कि भारतीयों द्वारा “ज्यादा खाने” सम्बन्धी इनका दावा कितना खोखला है…
व्यक्ति का मोटापा मापने का एक वैज्ञानिक तरीका है BMI Index (Body Mass Index)। साबित तथ्य यह है कि जिस देश की जनता को अच्छा और पौष्टिक भोजन सतत उचित मात्रा में प्राप्त होता है उस देश की जनता का BMI सूचकांक बढ़ता है, हालांकि यह सूचकांक या कहें कि वैज्ञानिक गणना व्यक्तिगत आधार पर की जाती है, लेकिन पूरी जनसंख्या का सामान्य औसत निकालकर उस देश का BMI Index निकाला जाता है। आम जनता को समझ में आने वाली सादी भाषा में कहें तो BMI Index व्यक्ति की ऊँचाई और वज़न के अनुपात के गणित से निकाला जाता है, इससे पता चलता है कि व्यक्ति “दुबला” है, “सही वज़न” वाला है, “मोटा” है अथवा “अत्यधिक मोटा” है। फ़िर एक बड़े सर्वे के आँकड़ों के आधार पर गणना करके सिद्ध होता है कि वह देश “मोटा” है या “दुबला” है… ज़ाहिर है कि यदि मोटा है मतलब उस देश के निवासियों को पौष्टिक, वसायुक्त एवं शुद्ध भोजन लगातार उपलब्ध है, जबकि देश दुबला है इसका अर्थ यह है कि उस देश के निवासियों को सही मात्रा में, उचित पौष्टिकता वाला एवं गुणवत्तापूर्ण भोजन नहीं मिल रहा है… यह तो हुई BMI सूचकांक की मूल बात… अब एक चार्ट देखते हैं जिसके अनुसार वैज्ञानिक रुप से कितने “BMI के अंक” पर व्यक्ति को “दुबला”, “मोटा” और “अत्यधिक मोटा” माना जाता है…
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