11 अगस्त 2016

आइये जम्मू एवं कश्मीर की वास्तविकता देखें ' सिर्फ अर्धसत्य का प्रचार किया जा रहा है। आइये जानते हैं


                         हमे जम्मू कश्मीर की बारें मे फैलाई गयी बातों से ऊपर आने की जरूरत है, क्या क्या मिथक परोसे गये हैं, क्या क्या शातिराना झूठ गढ़े गए हैं, सिर्फ अर्धसत्य का प्रचार किया जा रहा है। आइये जानते हैं की कैसे इन लकड़बग्घों द्वारा, बार्डर पार पाकिस्तान द्वारा नयी पीढ़ी का ब्रेनवाश किया जा रहा है। ये भारत विरोधी ताक़तें जो की पाकिस्तान की सरकार द्वारा, वहाँ की खुफिया संस्था आईएसआई द्वारा प्रायोजित हैं।
आइये कश्मीर के उन विकृत तथ्यों से आपका परिचय कराते हैं जिसके बारे मे हम सोचते ही नहीं हैं।

*अलगाववाद: प्रचार बनाम सच्चाई*

1. अलगाववादी नियंत्रण मे केवल 5 जिले हैं। और ये जिले जम्मू, कश्मीर, और लद्दाख के 15 प्रतिशत हैं सिर्फ 15 प्रतिशत और हाँ ये सब सुन्नी मुस्लिम हैं।
2. शिया, सूफि, हिंदुं, बौद्ध और ईसाई अलगाववादि नहीं हैं।
3. जम्मू-कश्मीर के तीन क्षेत्रों मे से दो मुस्लिम बहुल नहीं हैं, मतलब पूरे जम्मू कश्मीर मे तीन क्षेत्र हैं और इसमे से दो क्षेत्रों मे मुस्लिम बहुसंख्यक नहीं हैं। ये क्षेत्र लगभग 85000 वर्ग किलोमीटर है। जब आप अलगाववाद की बात करते हैं तो इस क्षेत्र मे आज दिन तक, यानि की इस 85 प्रतिशत क्षेत्र मे आज दिन तक कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ।
4. केवल कुछ कश्मीरी बोलने वाले सुन्नी मुस्लिमों का एक भाग अलगाववादी सोच रखता है। जब आप टीवी कार्यक्रम मे कश्मीर पर बहस देखते हैं तो आप किसे देखते हैं? उमर अब्दुल्लाह, महबूबा मुफ़्ती, यासीन मलिक, शब्बीर शाह, गिलानी, आसिया अन्द्राबी और लोन। जम्मू कश्मीर के 22 जिलों मे से सिर्फ 5 जिले हैं जिसमे सब सुन्नी मुस्लिम हैं।
5. जम्मू-कश्मीर में लगभग 12 प्रतिशत शिया मुसलमान है, लगभग 12-14 प्रतिशत गुज्जर मुस्लिम हैं और लगभग 8 प्रतिशत पहाड़ी राजपूत मुस्लिम, सूफी, ईसाई, बोद्ध और हिन्दू हैं। इसमे मे से किसी भी समुदाय मे एक भी अलगाववादी नेता नहीं है।
6. जब अफजल गुरु को फांसी के फंदे पर लटकाया गया, हमारे देश की दलाल मीडिया ने ऐसा प्रचार किया जैसे सारा कश्मीर सड़कों पर उतर के आ गया हो। जबकि सच्चाई ये थी की जम्मू कश्मीर के 22 जिलों मे से 17 जिलों मे जरा सा भी विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ। यानि की एक भी विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ इन 17 जिलों मे। घाटी के सिर्फ 5 जिले ऐसे थे जिसमे हल्का विरोध प्रदर्शन हुआ था।
7. पुंछ मे 90 प्रतिशत मुसलमान हैं लेकिन इस जिले मे शक्तिशाली सिक्खों का बोलबाला है। कारगिल मे 90 प्रतिशत मुसलमान हैं, कारगिल शहर मे 99 प्रतिशत से अधिक मुसलमान हैं लेकिन इन क्षेत्रों मे एक जर्रे के बराबर भी विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ।
8. जम्मू-कश्मीर के बारे में हमारी धारणा है कि यहाँ पिछले 68 वर्षों से राष्ट्रवाद और अलगाववाद के बीच एक लड़ाई चल रही है। राष्ट्रवाद न तो अभी तक खोया है और ना ही खोयेगा क्यूंकी राज्य के ज़्यादातर इलाकों मे राष्ट्रवादीयों की संख्या अधिक है।
9. जम्मू-कश्मीर पर कोई विवाद नहीं है, विवाद सिर्फ ये है की उन क्षेत्रों को वापस कैसे लाया जाये जिन पर पाकिस्तान और चाइना ने गैरकानूनी कब्जा किया हुआ है।
'अलगाववाद', 'विवाद' और 'स्वायत्तता' ये तीनों ऐसे मिथक हैं जो की इस राज्य के साथ चिपक गए हैं। इस राज्य के बारे मे आम भारतीय धारणा है की ये एक अलगाववादी राज्य है। और ये इसलिए है क्यूंकी जम्मू और कश्मीर को बस कश्मीर मान लिया जाता है। कश्मीर जो एक सुन्नी मुस्लिम कश्मीर है, एक मुस्लिम कश्मीर जो एक अलगाववादी कश्मीर है, कश्मीर जहां अधिकांशतः भारतीय तिरंगे को जला दिया जाता है, और पाकिस्तानी झंडे को फहराया जाता है। लेकिन ये बस सिर्फ पाँच जिले हैं। 22 जिलों मे से मात्र पाँच जिले।
राज्य को एक इकाई के रूप में माना जाना चाहिए जैसे की जम्मू (जिसका भूमि क्षेत्र सबसे अधिक है), लददाख और केवल उसके बाद कश्मीर।
अन्ततः, पाकिस्तान लगातार संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का गाना गाता रहता है। लेकिन इन प्रस्तावों का भाग दो स्पष्टतः बताता है की जम्मू और कश्मीर मे जनमत संग्रह तभी हो सकता है जबकि पाकिस्तान अपने सभी सैन्य बलों, आदमियों को वापस ले जो की कश्मीर मे उग्रवाद आतंकवाद फैलाने मे लगे हुए हैं।
तब 1947 था ... अभी 2016 है और पाकिस्तान का कश्मीर से एवं गिलगित और बाल्टिस्तान समेत अपने सभी बलों को वापस लेना अभी बाकी है। तथ्य यह है कि पाकिस्तानी सेना पाक अधिकृत कश्मीर से अपनी सेना वापस नहीं लेगी। इसलिए ये संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव एक तरह से मृत प्रस्ताव है।
दूसरी बात ये है की पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय IV के तहत संकल्प पर हस्ताक्षर किए हैं। जो की रेजोल्यूशन को अप्रवर्तीय बनाता है। यानि की लागू करने योग्य नहीं बताता।
इसलिए पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन नहीं करने के लिए भारत को दोष देने के इस नाटक को रोकने की जरूरत है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. क्या मैं भी आपके पृष्ठ के लिए लिख सकता हूँ कृपा मेरी मेल आई डी पर सुचित करे।

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  2. क्या मैं भी आपके पृष्ठ के लिए लिख सकता हूँ कृपा मेरी मेल आई डी पर सुचित करे।

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